Car me maja chudai ka maja
वो दोनों कुछ ऐसी पोसितिओन में थे की मैं कामवाली का चेहरा नहीं देख पा रही थी. डॉक्टर कुर्सी पर दरवाजे की तरफ मुह कर के बैठा हुआ था और मैं डॉक्टर का मुह और कामवाली की गंद देख पा रही थी।अब कामवाली नीचे बैठ गई थी और डॉक्टर ने अपनी पन्त की जिप खोली तो कामवाली ने अपने हाथ से उसका लौदा पकड़ कर बहार निकाल लिया. मैं इतनी दूर थी, फिर भी मैंने साफ़ साफ़ देखा की डॉक्टर का लुंड काफी बड़ा था और उस के चरों तरफ काले काले बड़े बड़े बाल थे. कामवाली अपने हाथों से उस की झांटों को पीचे कर रही थी ताकि वो उसके काम के बीच ना ए. कामवाली ने डॉक्टर के काले और बड़े लौदेको चूमा और धीरे धीरे उसको हिलाने लगी. डॉक्टर अपनी कुर्सी पर पीचे सर टिका कर बैठ गया और अपने लुंड पर कामवाली के कमाल का मज़ा लेने लगा. थोड़ी देर उसका लुंड हिलाने के बाद उसने लुंड का सुपदा अपने मुह में ले कर कुछ देर तक चूसा.
फिर वो उसके लुंड को पकड़ कर मुठिया मारने लगी जब जी डॉक्टर के काले लौड़े का सुपदा उस के मुह में ही था. मुझे पता चल चूका था की वहां शायद लुंड और चुत की चुदाई नहीं होने वाली है, सिर्फ हाथ और मुह का कमाल ही होगा.
मैंने भी अपनी जें की जिप खोल ली और चड्डी के किनारे से अपनी बीच की ऊँगली, अपने पैर चौड़े करके अपनी चुत तक ले गई. मैंने जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली अपनी चुत के दाने पर फिरनी चालू की ताकि मैं जल्दी से झड सकूँ. और वहां, कामवाली तेजी से, डॉक्टर का लौदा चूसते हुए मुठ मार रही थी. मेरी ऊँगली ऊँगली की रफ़्तार भी मेरी चुत में बढ़ गई थी.
मैंने देखा की डॉक्टर की गंद कुर्सी से ऊपर हो रही है और अचानक ही उसने कामवाली का सर पकड़ कर अपने लुंड पर दबा लिया. जरूर उसके लुंड ने अपना पानी छोड़ दिया था. कामवाली मज़े से डॉक्टर के लुंड रस को पी रही थी. मेरी चुत पर मेरी ऊँगली के काम से मैं भी अब झड़ने के करीब थी. मैंने अपनी ऊँगली तेजी से अपनी गीली फुद्दी पर हिलानी शुरू कर दी और मैं भी अपनी मंजिल पर पहुँच गई. मेरी चड्डी मेरे चुत रस से और भी गीली हो गई. मैंने एक शानदार काम, चुत में ऊँगली करने का ख़तम किया और मेरी आँखें खुद ही संतुष्टि से बंद हो गई.
जब मैंने आँखें खोली तो देखा की कामवाली डॉक्टर का लंड, अपना मुह, अपनी गर्दन और अपनी चूचियां कपडे से साफ़ कर रही थी. शायद डॉक्टर के लुंड से निकला पानी उसके बदन पर भी फ़ैल गया था.
तभी मैंने रमेश की नीली जें को अपने घर की तरफ आने वाली सड़क पर देखा. बरसात अब रुक चुकी थी. मैं कड़ी हुई और अपने कमरे की तरफ दौड़ी. मैंने दूसरी चड्डी ली और अपनी गीली चुत tissue पेपर से साफ़ करने के बाद उसे पहन लिया.
मैं जल्दी से अपने प्रेमी का स्वागत करने नीचे आई. वो अपनी कार पार्क करने के बाद घर के अन्दर आया तो मेरी माँ भी आ गई थी. हम सब ने साथ साथ शाम की चाय पी और हल्का नाश्ता किया. वो ज्यादातर मेरी माँ से ही बात कर रहा था और करेब ५.०० बजे हम अपने बनाये हुए प्रोग्राम पर रवाना हुए.
हम गोवा - मुंबई के हिघ्वय पर थे और फिर से बरसात शुरू हो गई थी, इस बार जोर से. तेज बारिश के कारन बहार अँधेरा हो गया था. मैं अपना सर उसके कंधे पर रख कर बैठी हुई थी और बहार हो रही बरसात मुझे सेक्सी बना रही थी, गरम कर रही थी. वो बहुत सावधानी से कार चला रहा था. रस्ते पर बहुत कम गाड़ियाँ थी.
उस ने मेरे गाल पर चुम्बन लिया तो मैं अपना आप खोने लगी. मैंने भी उसके गाल को चूमा. गाड़ी चलते हुए उस ने मेरी चुचियों को दबाया. जो मैं चाहती थी वो हो रहा था. उस ने फिर एक बार मेरी चुचियों को दबाया और मसला, इस बार जरा जोर से. चलती गाड़ी में जितना संभव था, उतना मैं उस से चिपक गई. अब मेरी चूचियां उस के हाथ से रगड़ खा रही थी. मैंने उस के शर्ट के ऊपर का बुट्तों खोल दिया।
मेरी उँगलियाँ उस की चौड़ी, बालों भरी छाती पर, उस की मरदाना निप्पल पर घुमने लगी. मैंने महसूस किया की उस की निप्पल मेरे सेक्सी तरीके के कारन कड़क हो गई थी. मैंने एक के बाद एक, उसकी दोनों निप्पल को मसला तो उसे मज़ा आया. मैंने नीचे देखा तो पाया की उसकी पन्त में हलचल हो रही थी. मैंने मुश्काराते हुए उस की निप्पल को छोड़ कर अपना हाथ नीचे किया. मेरा एक हाथ उसकी गर्दन के पीचे था और मेरी चूचियां अभी भी उसके हाथ पर रगड़ खा रही थी. मेरा दूसरा हाथ उस की पन्त के ऊपर, उसके ताने हुए लंड पर था.
उस नापने पैरों की पोसितिओन ऐसी बना ली की वो कार चलता रहे और मैं उस के लौड़े से खेलती रहूँ. मैं उसका खड़ा हुआ लंड मसल रही थी और उस को बहार निकलना चाहती थी. मैंने उसकी जिप खोली तो उसने भी अपने ताने हुए लंड को चड्डी से बहार निकलने में मेरी मदद की.
कितना सुन्दर लंड है मेरे प्रेमी का. गहरे भूरे रंग का, करीब ७.५ इंच लम्बा, ३ इंच मोटा और कड़क लंड. ( मैंने उस के लंड को नापा था जब हम एक बार अलग अलग तरीके के लौडों के बारे में बात कर रहे थे, इसलिए मुझे उसके लंड का नाप पता है. ) गरम, सख्त और मज़बूत लंड. उस के लंड के सुपदे पर चमड़ी है और सुपदे पर छेड़ बहुत प्यारा लगता है. मुझे हमेशा ही उसके मर्दानगी भरे लंड को देखना अच्छा लगता है.
मैं बहुत भाग्यशाली हूँ की मुझे ऐसा प्रेमी मिला है जो मेरी तरह हमेशा, कहीं भी, कभी भी, प्यार और चुदाई का खेल खेलने को तैयार रहता है. उस के लंड की ऊपर की चमड़ी बहुत आसानी से नीचे हो जाती है जब मैं उसके खड़े लंड को पकड़ कर नीचे दबाती हूँ तो उस का गुलाबी सुपदा मेरी आँखों के सामने आ जाता है. उस के लंड के सुपदे पर, छेड़ पर पानी की एक बूँद आ गई थी जो की आप जानतें हैं की ये चुदाई के पहले का पानी है. उस ने भी कार चलते हुए मेरी चुत पर मेरी जें के ऊपर से ही हाथ फिराया तो मेरी गर्मी बढ़ने लगी।
No comments:
Post a Comment